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Monday, April 4, 2011

हरियाणा में लड़कियों की संख्या बढ़ी

खुशबू (ख़ुशी), इन्द्री :
ममता सौदा, साइना नेहवाल, कृष्णा पूनिया व कल्पना चावला जैसी महिलाओं ने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भले ही अपने राज्य की नाक ऊंची की हो, लेकिन पुरुष प्रधान राज्य हरियाणा ने महिला-पुरुष लिंगानुपात में अपनी नाक जरूर कटा ली है। यह जानकारी 2011 की जनगणना के ताजा आंकड़ों में दी गई है। राज्य के झज्जर और महेंद्रगढ़ ने तो हरियाणा को शर्मसार किया है। दोनों जिले राष्ट्रीय सूची में सबसे निचले पायदान पर हैं। राज्य में (0-6 साल) लड़कियों की संख्या के मामले में 2001 के मुकाबले सुधार होने के बावजूद यह राज्य राष्ट्रीय सूची में सबसे नीचे है। प्रति एक हजार बालकों (छह साल तक) के मुकाबले केवल 830 बालिकाएं हैं। पंजाब में भी स्थिति बहुत बेहतर नहीं है। यहां प्रति हजार लड़कों के मुकाबले महज 846 लड़कियां हैं। जनसंख्या नियंत्रण के मामले में हरियाणा व पंजाब ने उल्लेखनीय प्रगति की है। पिछले एक दशक के दौरान आबादी की वृद्धि दर हरियाणा में 28.4 फीसदी से घटकर 19.9 फीसदी रह गई है। दिल्ली के नजदीक होने की वजह से हरियाणा में जनसंख्या का घनत्व पंजाब के मुकाबले अधिक है। हरियाणा की आबादी 2.11 करोड़ से बढ़कर 2.53 करोड़ पहुंच गई है। पंजाब की आबादी 2.43 करोड़ से बढ़कर 2.77 करोड़ हो गई है। हरियाणा में 2001 में 1000 पुरुषों के मुकाबले 861 महिलाएं थीं, उनकी संख्या 2011 में बढ़कर 877 हो गई। फिर भी यह राष्ट्रीय औसत के मुकाबले बहुत पीछे है। हरियाणा के झज्जर में प्रति एक हजार पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या केवल 774 और महेंद्रगढ़ में 778 है। यह संख्या देश के किसी भी जिले के मुकाबले सबसे कम है।


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Monday, April 4, 2011

हरियाणा में लड़कियों की संख्या बढ़ी

खुशबू (ख़ुशी), इन्द्री :
ममता सौदा, साइना नेहवाल, कृष्णा पूनिया व कल्पना चावला जैसी महिलाओं ने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भले ही अपने राज्य की नाक ऊंची की हो, लेकिन पुरुष प्रधान राज्य हरियाणा ने महिला-पुरुष लिंगानुपात में अपनी नाक जरूर कटा ली है। यह जानकारी 2011 की जनगणना के ताजा आंकड़ों में दी गई है। राज्य के झज्जर और महेंद्रगढ़ ने तो हरियाणा को शर्मसार किया है। दोनों जिले राष्ट्रीय सूची में सबसे निचले पायदान पर हैं। राज्य में (0-6 साल) लड़कियों की संख्या के मामले में 2001 के मुकाबले सुधार होने के बावजूद यह राज्य राष्ट्रीय सूची में सबसे नीचे है। प्रति एक हजार बालकों (छह साल तक) के मुकाबले केवल 830 बालिकाएं हैं। पंजाब में भी स्थिति बहुत बेहतर नहीं है। यहां प्रति हजार लड़कों के मुकाबले महज 846 लड़कियां हैं। जनसंख्या नियंत्रण के मामले में हरियाणा व पंजाब ने उल्लेखनीय प्रगति की है। पिछले एक दशक के दौरान आबादी की वृद्धि दर हरियाणा में 28.4 फीसदी से घटकर 19.9 फीसदी रह गई है। दिल्ली के नजदीक होने की वजह से हरियाणा में जनसंख्या का घनत्व पंजाब के मुकाबले अधिक है। हरियाणा की आबादी 2.11 करोड़ से बढ़कर 2.53 करोड़ पहुंच गई है। पंजाब की आबादी 2.43 करोड़ से बढ़कर 2.77 करोड़ हो गई है। हरियाणा में 2001 में 1000 पुरुषों के मुकाबले 861 महिलाएं थीं, उनकी संख्या 2011 में बढ़कर 877 हो गई। फिर भी यह राष्ट्रीय औसत के मुकाबले बहुत पीछे है। हरियाणा के झज्जर में प्रति एक हजार पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या केवल 774 और महेंद्रगढ़ में 778 है। यह संख्या देश के किसी भी जिले के मुकाबले सबसे कम है।


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