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Saturday, April 16, 2011

पत्थर फैंकने से क्या होगा: अनुपम खेर

नईदिल्ली (प्रेमबाबू शर्मा) :
मुुंमई में अनुपम खेर के घर पर पत्थर फैंकने उनका कहना था कि मैने जो कहा सही कहा लोग मेरे कहने को अगर तोड मरोड कर उसका मतलब कुछ भी निकाले इस बारे में मैं नही सोचता। इन दिनों वे प्रख्यात गांधीवादी अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में उनका साथ देने की वजह से सुर्खियों में हैं। उन्होंने शूजा अली के निर्देशन में बनी फिल्म कुछ लोग में दो अलग किरदार निभाए हैं। वैसे इन दिनों अनुपम खेर नए डायरेक्टर्स के साथ फिल्में करने के लिए चर्चित हैं। इन डायरेक्टर्स की फिल्मों के बदौलत उनकी बतौर एक्टर दूसरी पारी शुरू हुई है। जैसे खोसला का घोंसला, ए वेडनेसडे तथा ये फासले आदि। इन दिनों वे लखनऊ में लगातार शूजा अली की फिल्म कुछ लोग की शूटिंग में व्यस्त हैं
आपके व्यक्तव्य को लेकर मुुमई में बाबल मचा ?
लोगों की सोच ही ऐसी बन चुकी है कि उनमें सच्च सुनने की ताकत ही नही है।
इसके मैं क्या कर सकता हॅू।
लोगों ने तो आपके घर पर भी पत्थर फैंके और आपके प्रति अपमान भर्रे ेशब्द कहे ?
मैंने कहा उन लोगों की मानसिकता ही ऐसी है, उनमें सोचने की ताकत ही नही है। उनको चाहिए था कि मेरे कथन पर ध्यान लगा सोच कि मैने क्या गलत कहा था।
आपने फिल्मों में लंबा समय गुजरा कैसा रहा अनुभव ?
कुल मिला कर बहुत ही अच्छा रहा है। लेकिन अब कुछ अलग हटकर करने के मूड है।
छोटे बजट की फिल्म कुछ लोग से कैसे जुड़ना हुआ?
फिल्म के निर्माता आसिफ और निर्देशक शूजा अली जब मेरे पास आए तो उन्होंने इस फिल्म की बाउंड स्क्रिप्ट मुझे देते हुए कहा कि पहले आप इसे पढ़ लीजिए, फिल्म की बात बाद में करेंगे। मुझे कहानी काफी पसंद आई और अपनी भूमिका भी। और जब वे दो बारा मुझसे मिले तो उनकी आंखों में पूरा विश्वास था कि मैं यह फिल्म करने वाला हूं।
खास है आपके किरदार में ?
फिल्म में मेरे कैरेक्टर का नाम डॉ. मुस्तफा है। यह ऐसा किरदार है जो धर्म के साथ-साथ आधुनिकता की बातें करता है। उसकी लड़ाई जात से नहीं बल्कि जात के नाम पर चल रहे अंधविश्वास से है।
फिल्म पर आपका नजरिया क्या है?
इसमें मुस्लिम मूल्यों और प्रगति की बातें हैं। इन्हें कहानी और किरदारों के जरिये बड़ी शिद्दत से कहने की कोशिश की गई है। इसमें ढेर सारे ऐसे मूल्य हैं जो मुस्लिम समाज को कुछ गंभीर संदेश देते हैं।
स्थापित निर्देशकों की अपेक्षा नए निर्देशकों के साथ काम करने की कुछ खास वजह ं?
वह इसलिए क्योंकि वे नया सोचते हैं, नया करने की कोशिश करते हैं। इसका उदाहरण है खोसला का घोंसला या ए वेडनेसडे। दूसरे इनके काम करने का तरीका मेरे जैसे एक्टर के लिए बहुत ही बेहतर है। सबसे महत्वपूर्ण है बाउंड स्क्रिप्ट। इससे फिल्म और अपनी भूमिका के बारे में आसानी से पता चल जाता है।
फिल्म में आपके अलावा और कौन-कौन आर्टिस्ट हैं?
मेरे अलावा गुलशन ग्रोवर हैं, जो कट्टर मुस्लिम के किरदार में हैं। साउथ का लड़का गणेश वेंकटरमन है जो अमिताभ, मोहनलाल और कमल हासन जैसे महारथियों के साथ फिल्में कर चुका है। इनके अलावा उर्वशी शर्मा, रति अग्निहोत्री और नीलिमा अजीम भी फिल्म से कमबैक कर रही हैं।
आप फिल्मों के चुनाव में पहले से कहीं अधिक चूजी हो गये हैं?
पहले भी था लेकिन अब इसलिए क्योंकि खराब फिल्म या खराब काम देखकर लोग कहेंगे कि जब यह खुद इतना घटिया एक्टर है तो अपने स्कूल में एक्टिंग क्या सिखाएगा ।
आपको लीजेंड एक्टर कहा जाता है ?
इस शब्द से मुझे बहुत नफरत है क्योंकि लीजेंड का मतलब यह कि आप जो करना चाहते थे, कर चुके। इसलिए मैं कभी लीजेंड नहीं बनूंगा, जो लोग मुझे बनाने पर तुले हुए हैं।

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Saturday, April 16, 2011

पत्थर फैंकने से क्या होगा: अनुपम खेर

नईदिल्ली (प्रेमबाबू शर्मा) :
मुुंमई में अनुपम खेर के घर पर पत्थर फैंकने उनका कहना था कि मैने जो कहा सही कहा लोग मेरे कहने को अगर तोड मरोड कर उसका मतलब कुछ भी निकाले इस बारे में मैं नही सोचता। इन दिनों वे प्रख्यात गांधीवादी अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में उनका साथ देने की वजह से सुर्खियों में हैं। उन्होंने शूजा अली के निर्देशन में बनी फिल्म कुछ लोग में दो अलग किरदार निभाए हैं। वैसे इन दिनों अनुपम खेर नए डायरेक्टर्स के साथ फिल्में करने के लिए चर्चित हैं। इन डायरेक्टर्स की फिल्मों के बदौलत उनकी बतौर एक्टर दूसरी पारी शुरू हुई है। जैसे खोसला का घोंसला, ए वेडनेसडे तथा ये फासले आदि। इन दिनों वे लखनऊ में लगातार शूजा अली की फिल्म कुछ लोग की शूटिंग में व्यस्त हैं
आपके व्यक्तव्य को लेकर मुुमई में बाबल मचा ?
लोगों की सोच ही ऐसी बन चुकी है कि उनमें सच्च सुनने की ताकत ही नही है।
इसके मैं क्या कर सकता हॅू।
लोगों ने तो आपके घर पर भी पत्थर फैंके और आपके प्रति अपमान भर्रे ेशब्द कहे ?
मैंने कहा उन लोगों की मानसिकता ही ऐसी है, उनमें सोचने की ताकत ही नही है। उनको चाहिए था कि मेरे कथन पर ध्यान लगा सोच कि मैने क्या गलत कहा था।
आपने फिल्मों में लंबा समय गुजरा कैसा रहा अनुभव ?
कुल मिला कर बहुत ही अच्छा रहा है। लेकिन अब कुछ अलग हटकर करने के मूड है।
छोटे बजट की फिल्म कुछ लोग से कैसे जुड़ना हुआ?
फिल्म के निर्माता आसिफ और निर्देशक शूजा अली जब मेरे पास आए तो उन्होंने इस फिल्म की बाउंड स्क्रिप्ट मुझे देते हुए कहा कि पहले आप इसे पढ़ लीजिए, फिल्म की बात बाद में करेंगे। मुझे कहानी काफी पसंद आई और अपनी भूमिका भी। और जब वे दो बारा मुझसे मिले तो उनकी आंखों में पूरा विश्वास था कि मैं यह फिल्म करने वाला हूं।
खास है आपके किरदार में ?
फिल्म में मेरे कैरेक्टर का नाम डॉ. मुस्तफा है। यह ऐसा किरदार है जो धर्म के साथ-साथ आधुनिकता की बातें करता है। उसकी लड़ाई जात से नहीं बल्कि जात के नाम पर चल रहे अंधविश्वास से है।
फिल्म पर आपका नजरिया क्या है?
इसमें मुस्लिम मूल्यों और प्रगति की बातें हैं। इन्हें कहानी और किरदारों के जरिये बड़ी शिद्दत से कहने की कोशिश की गई है। इसमें ढेर सारे ऐसे मूल्य हैं जो मुस्लिम समाज को कुछ गंभीर संदेश देते हैं।
स्थापित निर्देशकों की अपेक्षा नए निर्देशकों के साथ काम करने की कुछ खास वजह ं?
वह इसलिए क्योंकि वे नया सोचते हैं, नया करने की कोशिश करते हैं। इसका उदाहरण है खोसला का घोंसला या ए वेडनेसडे। दूसरे इनके काम करने का तरीका मेरे जैसे एक्टर के लिए बहुत ही बेहतर है। सबसे महत्वपूर्ण है बाउंड स्क्रिप्ट। इससे फिल्म और अपनी भूमिका के बारे में आसानी से पता चल जाता है।
फिल्म में आपके अलावा और कौन-कौन आर्टिस्ट हैं?
मेरे अलावा गुलशन ग्रोवर हैं, जो कट्टर मुस्लिम के किरदार में हैं। साउथ का लड़का गणेश वेंकटरमन है जो अमिताभ, मोहनलाल और कमल हासन जैसे महारथियों के साथ फिल्में कर चुका है। इनके अलावा उर्वशी शर्मा, रति अग्निहोत्री और नीलिमा अजीम भी फिल्म से कमबैक कर रही हैं।
आप फिल्मों के चुनाव में पहले से कहीं अधिक चूजी हो गये हैं?
पहले भी था लेकिन अब इसलिए क्योंकि खराब फिल्म या खराब काम देखकर लोग कहेंगे कि जब यह खुद इतना घटिया एक्टर है तो अपने स्कूल में एक्टिंग क्या सिखाएगा ।
आपको लीजेंड एक्टर कहा जाता है ?
इस शब्द से मुझे बहुत नफरत है क्योंकि लीजेंड का मतलब यह कि आप जो करना चाहते थे, कर चुके। इसलिए मैं कभी लीजेंड नहीं बनूंगा, जो लोग मुझे बनाने पर तुले हुए हैं।

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