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Sunday, April 24, 2011

पंचायत ने महिलाओं की नौकरी पर लगाई पाबंदी


खुशबू (ख़ुशी), इन्द्री :
भले ही आज देश की महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी कामयाबी का परचम लहरा रही हैं लेकिन आज भी उन्हें समाज के कुछ निराशावादी लोगों की छोटी सोच का शिकार होना पड़ता है| आज भी देश की कई जातीय पंचायतें महिलाओं की स्वतन्त्रता पर आये दिन कोई न कोई प्रतिबन्ध लगती रहती हैं| हरिद्वार सर्वोच्च न्यायालय के तमाम आदेशों के बावजूद देश में इन जातीय पंचायतों की निरंकुशता बढ़ती ही जा रही है। ताजा मामला हरिद्वार के सराय गांव का है, जहां मुस्लिम बिरादरी की पंचायत ने महिलाओं के नौकरी करने पर पाबंदी लगाने फरमान सुना डाला। आदेश न मानने पर 5100 रुपये जुर्माना और पांच कोड़े की सजा भी मुकर्रर करने के साथ इमामबाड़े के लाउडस्पीकर से मुनादी भी करा दी गई। दो दिन पहले गडोवाली गांव में पंचायत ने महिलाओं के अकेले नौकरी पर जाने पर पाबंदी लगा दी थी। जिला प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि किसी को भी कानून से खिलवाड़ नहीं करने दिया जाएगा। शिकायत मिली तो कार्रवाई की जायेगी।
हरिद्वार जिला मुख्यालय से सटे सराय गांव में मंगलवार रात इमामबाड़े में मुस्लिमों की पंचायत हुई, जिसमें ग्राम पंचायत के चुने हुए प्रतिनिधियों के अलावा पांच बिरादरियों के करीब एक हजार लोग शामिल हुए। लंबी तकरीर के बाद पंचायत ने गांव की युवतियों और महिलाओं के काम करने पर रोक लगाने का फरमान सुना दिया। समाज के अलंबरदारों की ओर से तर्क दिया गया कि महिलाओं के काम पर जाने से गांव का माहौल बिगड़ रहा है। कुछ दिन पहले एक युवती दूसरे समुदाय के युवक के साथ चली गई थी। इससे पूरे समाज पर असर पड़ रहा है। पंचायत के फैसले के बाबत रात ही गांव में मुनादी करा कर इस पर अमल करने के निर्देश दिए गए। करीब 14 हजार की आबादी वाले सराय गांव में आधी आबादी महिलाओं की है। यहां की करीब 60 महिलाएं सिडकुल की विभिन्न कंपनियों में काम करने जाती हैं। पंचायत के फरमान के बाद अधिसंख्य कामकाजी महिलाएं महिलाएं घरों में कैद होकर रह गई है। इस बारे में बात करने पर हरिद्वार के अपर जिलाधिकारी एस एन पांडेय ने कहा, बिरादरी की पंचायत में दिए गए तुगलकी फरमान को गंभीरता लिया जा रहा है। किसी भी हालत में कानून से खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा। प्रभारी पुलिस कप्तान रोशनलाल शर्मा का कहना है कि अभी उन्हें ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है, नौकरी पर जाने से जबरन रोकने की दशा में हस्तक्षेप किया जाएगा।अब यहाँ एक सवाल यह उठता है कि महिलाओं की स्वतंत्रता पर प्रतिबन्ध लगाने का अधिकार इन जातीय पंचायतों को किसने दिया|आखिर क्यों कुछ लोग अपनी सोच महिलाओं पर थोपने की कोशिश कर रहे हैं|बहुत गम्भीर समस्या है ये |रोकना होगा इन जातीय पंचायतों को |

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Sunday, April 24, 2011

पंचायत ने महिलाओं की नौकरी पर लगाई पाबंदी


खुशबू (ख़ुशी), इन्द्री :
भले ही आज देश की महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी कामयाबी का परचम लहरा रही हैं लेकिन आज भी उन्हें समाज के कुछ निराशावादी लोगों की छोटी सोच का शिकार होना पड़ता है| आज भी देश की कई जातीय पंचायतें महिलाओं की स्वतन्त्रता पर आये दिन कोई न कोई प्रतिबन्ध लगती रहती हैं| हरिद्वार सर्वोच्च न्यायालय के तमाम आदेशों के बावजूद देश में इन जातीय पंचायतों की निरंकुशता बढ़ती ही जा रही है। ताजा मामला हरिद्वार के सराय गांव का है, जहां मुस्लिम बिरादरी की पंचायत ने महिलाओं के नौकरी करने पर पाबंदी लगाने फरमान सुना डाला। आदेश न मानने पर 5100 रुपये जुर्माना और पांच कोड़े की सजा भी मुकर्रर करने के साथ इमामबाड़े के लाउडस्पीकर से मुनादी भी करा दी गई। दो दिन पहले गडोवाली गांव में पंचायत ने महिलाओं के अकेले नौकरी पर जाने पर पाबंदी लगा दी थी। जिला प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि किसी को भी कानून से खिलवाड़ नहीं करने दिया जाएगा। शिकायत मिली तो कार्रवाई की जायेगी।
हरिद्वार जिला मुख्यालय से सटे सराय गांव में मंगलवार रात इमामबाड़े में मुस्लिमों की पंचायत हुई, जिसमें ग्राम पंचायत के चुने हुए प्रतिनिधियों के अलावा पांच बिरादरियों के करीब एक हजार लोग शामिल हुए। लंबी तकरीर के बाद पंचायत ने गांव की युवतियों और महिलाओं के काम करने पर रोक लगाने का फरमान सुना दिया। समाज के अलंबरदारों की ओर से तर्क दिया गया कि महिलाओं के काम पर जाने से गांव का माहौल बिगड़ रहा है। कुछ दिन पहले एक युवती दूसरे समुदाय के युवक के साथ चली गई थी। इससे पूरे समाज पर असर पड़ रहा है। पंचायत के फैसले के बाबत रात ही गांव में मुनादी करा कर इस पर अमल करने के निर्देश दिए गए। करीब 14 हजार की आबादी वाले सराय गांव में आधी आबादी महिलाओं की है। यहां की करीब 60 महिलाएं सिडकुल की विभिन्न कंपनियों में काम करने जाती हैं। पंचायत के फरमान के बाद अधिसंख्य कामकाजी महिलाएं महिलाएं घरों में कैद होकर रह गई है। इस बारे में बात करने पर हरिद्वार के अपर जिलाधिकारी एस एन पांडेय ने कहा, बिरादरी की पंचायत में दिए गए तुगलकी फरमान को गंभीरता लिया जा रहा है। किसी भी हालत में कानून से खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा। प्रभारी पुलिस कप्तान रोशनलाल शर्मा का कहना है कि अभी उन्हें ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है, नौकरी पर जाने से जबरन रोकने की दशा में हस्तक्षेप किया जाएगा।अब यहाँ एक सवाल यह उठता है कि महिलाओं की स्वतंत्रता पर प्रतिबन्ध लगाने का अधिकार इन जातीय पंचायतों को किसने दिया|आखिर क्यों कुछ लोग अपनी सोच महिलाओं पर थोपने की कोशिश कर रहे हैं|बहुत गम्भीर समस्या है ये |रोकना होगा इन जातीय पंचायतों को |

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