SAMACHAR TODAY LIVE TV

http://samacharcloud.purplestream.in/samachar/samachar2-live.smil/playlist.m3u8

Saturday, April 16, 2011

आदमियों को हैवान बनाती जिस्मानी भूख

खुशबू(ख़ुशी), इन्द्री :
आजकल दुनिया में महिलाओं से सम्बन्धित जिस जिस तरह के दर्दनाक वाकये सुनने में आ रहे हैं,से ये बात बखूबी साबित हो जाती है कि जिस्मानी भूख मिटाने के लिए आदमी हैवानियत कि किसी भी हद तक जा सकता है! आदम जात के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक बात और क्या होगी कि उनके कारण दूध पीती बच्चियां तक सुरक्षित नही हैं आज हाल ही में नई दिल्ली राजधानी से एक युवक द्वारा एक युवती का शव अजमेर पार्सल करने का मामला सामने आया है पुलिस जांच में जुटी हुई है!
इस मामले में पुलिस जांच बेशक किसी भी दिशा में जा रही हो, मगर इस दौरान सामने आए तथ्य चौंकाने वाले हैं। अकेले दिल्ली में मार्च में 18 से 30 आयु वर्ग की डेढ़ सौ से अधिक युवतियां लापता हो चुकी हैं।
दिल्ली में ही नही देश भर में लगभग सभी राज्यों में हर महीने इस तरह की घटनाएँ होती रहती हैं! कभी बलात्कार तो कभी अपहरण बालिग़ ही नही नाबालिग यहाँ तक की छोटी छोटी बच्चियों तक को ये दर्द झेलना पड़ता है! पुलिस अधिकारी तर्क देते हैं कि बालिग युवतियों अपनी मर्जी से कभी प्रेम प्रसंग तो कभी परिवार से नाराज होकर घर छोड़ देती हैं। लेकिन यही एकमात्र कारण नही हो सकता महिलाओं के प्रति इन अपराधो का महिला संगठन और लोग इससे इत्तेफाक नहीं रखते। उनका कहना है कि सभी लडकियां तो अपने आप घर नही छोडती या प्रेम प्रसंग में नही होती! इसके पीछे कोई गहरी साजिश होती है।क्योंकि हाल ही में उजागर हुए युवतियों को बहला-फुसलाकर बेचे जाने के कई मामले भी कुछ इसी तरफ इशारा कर रहे हैं। मार्च में दिल्ली से जो 153 युवतियां लापता हुई हैं। सभी बालिग थीं। जबकि दिल्ली पुलिस का कहना है कि बालिग के लापता होने के पीछे अक्सर प्रेम प्रसंग या परिवार से अनबन की वजह सामने आती हैं। प्रेम विवाह के लिए युवतियां परिवार को बिना बताएं अचानक लापता हो जाती हैं। कई मामलों में कुछ माह बाद ऐसी युवतियां वापस लौट आती हैं। नौकरी या फिल्मों में कैरियर तलाशने के लिए भी मुंबई भागने के मामले भी सामने आ चुके हैं। राजधानी में बालिग युवतियों के लापता होने के पीछे कोई संगठित या अपराधी गिरोह सामने नहीं आया है।लेकिन इस बात को कोई भी हजम नही क्र प् रहा कि इतने बड़े पैमाने पर लापता हो रही युवतियां अपनी मर्जी से घर छोड़कर जा रही हैं या प्रेम प्रसंग में होती हैं। एक-दो मामलों को छोड़ दें तो अधिकांश युवतियां एक बार लापता होने के बाद लौटकर नहीं आतीं।
अगर और राज्यों की बात करें तो हाल ही में उत्तर प्रदेश से नौकरी की तलाश में दिल्ली आई 19 वर्षीय युवती का मामला दो दिन पुराना ही है। रेलवे स्टेशन पर एक बुजुर्ग ने नौकरी दिलाने में मदद करने के बहाने उसे दो युवकों के हवाले कर दिया। तीन माह तक दोनों युवकों ने उसे कभी पानीपत, कभी नोएडा तो कभी सीमापुरी इलाके में बंधक बनाकर रखा। इस दौरान उसके साथ दुष्कर्म भी किया गया। किसी तरह मामला पुलिस तक पहुंचा तब जाकर सीमा को मुक्त करा दोनों आरोपियों को दबोचा गया। इसी प्रकार दक्षिण दिल्ली में नौकरी के नाम पर बिहार से लाई गई युवती से भी दुष्कर्म व उसे बेचने की कोशिश में एक गिरोह पकड़ा जा चुका है। पति का इलाज कराने आई बिहार की एक महिला को गिरोह ने हरियाणा के गांव में बेचकर उसकी शादी तक करा दी थी।कहा जा रहा है कि इन मामलों में पुलिस को गंभीर होने की जरूरत है।
अब यहाँ महत्वपूर्ण सवाल ये उठता है कि न्याय दिलाने वाले या रक्षक कही जाने वाली यह पुलिस खुद कितनी साफ छवि वाली है! या कहें तो इन सब के लिए जिम्मेवार कौन है! क्योंकि महिलाओं के प्रति दुष्कर्म यौन उत्पीडन जैसी शिकायतें तो पुलिस वालों के खिलाफ भी होती हैं! जबकि वास्तविकता ये है कि इन सबके लिए जिम्मेवार है आदम जात चाहे वो किसी भी रूप में हो! पुलिस कर्मी हो या नेता हो,
राह चलते गुंडे हों या प्रेम प्रसंग में युवतियों को फसाते मनचले लड़के
हैं तो आदम जात के ही और सभी वहशीपन के शिकार हैं! लड़की या औरत दिखी नही कि उनका मन मचलने लगता है! तब तो ये रिश्तों कि मयादा को भी दाव पर लगा देते हैं! और तो और इन्हें मार कर शव को पार्सल कर देने,जला देने,दफना देने या छुपा देने या फैंक देने जैसे जानवरों वाली हरकतें तक कर देते हैं! मतलब उस समय तो उनमे इंसानियत नाम की कोई चीज़ भी नही रह जाती!
ऐसे में कहाँ तक महिलाएं खुद को सुरक्षित मान सकती हैं! आखिर किस किस तरह के कानून बनाकर सरकार इन्हें सुरक्षा दे सकती है जबकि सरकार के अपने बाशिंदे ही इन्हें नही छोड़ते! जरूरत कानून की या सुरक्षा दे देने की ही नही है! जरूरत है अपनी सोच बदलने की इंसान बनने की!!रिश्तों की मर्यादा समझने की और अपनी मर्यादा रहने की! केवल औरत जात को ही जिम्मेवार ठहरा देने से कुछ नही होगा! आदम जात को खुद पर भी काबू रखना होगा! तभी आदम जात बदनाम होने से बच पायेगी वरना वो दिन दूर नही जब लोग बेटों का पैदा होना भी बोझ समझने लगेंगे!

No comments:

Saturday, April 16, 2011

आदमियों को हैवान बनाती जिस्मानी भूख

खुशबू(ख़ुशी), इन्द्री :
आजकल दुनिया में महिलाओं से सम्बन्धित जिस जिस तरह के दर्दनाक वाकये सुनने में आ रहे हैं,से ये बात बखूबी साबित हो जाती है कि जिस्मानी भूख मिटाने के लिए आदमी हैवानियत कि किसी भी हद तक जा सकता है! आदम जात के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक बात और क्या होगी कि उनके कारण दूध पीती बच्चियां तक सुरक्षित नही हैं आज हाल ही में नई दिल्ली राजधानी से एक युवक द्वारा एक युवती का शव अजमेर पार्सल करने का मामला सामने आया है पुलिस जांच में जुटी हुई है!
इस मामले में पुलिस जांच बेशक किसी भी दिशा में जा रही हो, मगर इस दौरान सामने आए तथ्य चौंकाने वाले हैं। अकेले दिल्ली में मार्च में 18 से 30 आयु वर्ग की डेढ़ सौ से अधिक युवतियां लापता हो चुकी हैं।
दिल्ली में ही नही देश भर में लगभग सभी राज्यों में हर महीने इस तरह की घटनाएँ होती रहती हैं! कभी बलात्कार तो कभी अपहरण बालिग़ ही नही नाबालिग यहाँ तक की छोटी छोटी बच्चियों तक को ये दर्द झेलना पड़ता है! पुलिस अधिकारी तर्क देते हैं कि बालिग युवतियों अपनी मर्जी से कभी प्रेम प्रसंग तो कभी परिवार से नाराज होकर घर छोड़ देती हैं। लेकिन यही एकमात्र कारण नही हो सकता महिलाओं के प्रति इन अपराधो का महिला संगठन और लोग इससे इत्तेफाक नहीं रखते। उनका कहना है कि सभी लडकियां तो अपने आप घर नही छोडती या प्रेम प्रसंग में नही होती! इसके पीछे कोई गहरी साजिश होती है।क्योंकि हाल ही में उजागर हुए युवतियों को बहला-फुसलाकर बेचे जाने के कई मामले भी कुछ इसी तरफ इशारा कर रहे हैं। मार्च में दिल्ली से जो 153 युवतियां लापता हुई हैं। सभी बालिग थीं। जबकि दिल्ली पुलिस का कहना है कि बालिग के लापता होने के पीछे अक्सर प्रेम प्रसंग या परिवार से अनबन की वजह सामने आती हैं। प्रेम विवाह के लिए युवतियां परिवार को बिना बताएं अचानक लापता हो जाती हैं। कई मामलों में कुछ माह बाद ऐसी युवतियां वापस लौट आती हैं। नौकरी या फिल्मों में कैरियर तलाशने के लिए भी मुंबई भागने के मामले भी सामने आ चुके हैं। राजधानी में बालिग युवतियों के लापता होने के पीछे कोई संगठित या अपराधी गिरोह सामने नहीं आया है।लेकिन इस बात को कोई भी हजम नही क्र प् रहा कि इतने बड़े पैमाने पर लापता हो रही युवतियां अपनी मर्जी से घर छोड़कर जा रही हैं या प्रेम प्रसंग में होती हैं। एक-दो मामलों को छोड़ दें तो अधिकांश युवतियां एक बार लापता होने के बाद लौटकर नहीं आतीं।
अगर और राज्यों की बात करें तो हाल ही में उत्तर प्रदेश से नौकरी की तलाश में दिल्ली आई 19 वर्षीय युवती का मामला दो दिन पुराना ही है। रेलवे स्टेशन पर एक बुजुर्ग ने नौकरी दिलाने में मदद करने के बहाने उसे दो युवकों के हवाले कर दिया। तीन माह तक दोनों युवकों ने उसे कभी पानीपत, कभी नोएडा तो कभी सीमापुरी इलाके में बंधक बनाकर रखा। इस दौरान उसके साथ दुष्कर्म भी किया गया। किसी तरह मामला पुलिस तक पहुंचा तब जाकर सीमा को मुक्त करा दोनों आरोपियों को दबोचा गया। इसी प्रकार दक्षिण दिल्ली में नौकरी के नाम पर बिहार से लाई गई युवती से भी दुष्कर्म व उसे बेचने की कोशिश में एक गिरोह पकड़ा जा चुका है। पति का इलाज कराने आई बिहार की एक महिला को गिरोह ने हरियाणा के गांव में बेचकर उसकी शादी तक करा दी थी।कहा जा रहा है कि इन मामलों में पुलिस को गंभीर होने की जरूरत है।
अब यहाँ महत्वपूर्ण सवाल ये उठता है कि न्याय दिलाने वाले या रक्षक कही जाने वाली यह पुलिस खुद कितनी साफ छवि वाली है! या कहें तो इन सब के लिए जिम्मेवार कौन है! क्योंकि महिलाओं के प्रति दुष्कर्म यौन उत्पीडन जैसी शिकायतें तो पुलिस वालों के खिलाफ भी होती हैं! जबकि वास्तविकता ये है कि इन सबके लिए जिम्मेवार है आदम जात चाहे वो किसी भी रूप में हो! पुलिस कर्मी हो या नेता हो,
राह चलते गुंडे हों या प्रेम प्रसंग में युवतियों को फसाते मनचले लड़के
हैं तो आदम जात के ही और सभी वहशीपन के शिकार हैं! लड़की या औरत दिखी नही कि उनका मन मचलने लगता है! तब तो ये रिश्तों कि मयादा को भी दाव पर लगा देते हैं! और तो और इन्हें मार कर शव को पार्सल कर देने,जला देने,दफना देने या छुपा देने या फैंक देने जैसे जानवरों वाली हरकतें तक कर देते हैं! मतलब उस समय तो उनमे इंसानियत नाम की कोई चीज़ भी नही रह जाती!
ऐसे में कहाँ तक महिलाएं खुद को सुरक्षित मान सकती हैं! आखिर किस किस तरह के कानून बनाकर सरकार इन्हें सुरक्षा दे सकती है जबकि सरकार के अपने बाशिंदे ही इन्हें नही छोड़ते! जरूरत कानून की या सुरक्षा दे देने की ही नही है! जरूरत है अपनी सोच बदलने की इंसान बनने की!!रिश्तों की मर्यादा समझने की और अपनी मर्यादा रहने की! केवल औरत जात को ही जिम्मेवार ठहरा देने से कुछ नही होगा! आदम जात को खुद पर भी काबू रखना होगा! तभी आदम जात बदनाम होने से बच पायेगी वरना वो दिन दूर नही जब लोग बेटों का पैदा होना भी बोझ समझने लगेंगे!

No comments: