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Friday, April 29, 2011

को-आपरेटिव बैंक और सोसायटी पर जड़ा ताला

खुशबू(ख़ुशी) इन्द्री :
करनाल के बल्ला गाँव स्थित को-आपरेटिव बैंक के कर्मचारियों की कार्यशैली से खफा गाँव की महिलाओं ने बुधवार को-ऑपरेटिव बैंक तथा सोसायटी पर ताला जड़ दिया। करीब चार घटे तक दोनों दफ्तरों पर ताला लटकता रहा। महिलाओं ने बैंक के कर्मचारियों के खिलाफ नारेबाजी की। आखिर लोन के कागजातों की दोबारा जाच के आश्वासन के बाद ही ताला खोला गया। ताला लगने से दोनों आफिस में लेन-देन ठप रहा।
मिली जानकारी के मुताबिक महिलाओं ने बैंक से लोन लेने के लिए पिछले करीब छह माह पूर्व आवेदन किया था बुधवार सुबह जब वे अपने लोन के बारे में जानकारी लेने के लिए महिलाएं बैंक में पहुचीं, तो उन्हें बताया गया कि उनको बैंक से लोन नहीं दिया जा सकता। जब उन्होंने लोन के बारे में बैंक मैनेजर से कागजात वापस मागे, तो मैनेजर ने कागजात करनाल से लेने की बात कही। इतना सुनते ही महिलाएं बिफर गई और सोसायटी और बैंक के कर्मचारियों को आफिस से बाहर निकालकर मेन दरवाजों पर ताला लगा दिया। महिलाएं दरवाजे के पास ही धरने पर बैठ गई। महिलाओं का आरोप था की बैंक कर्मचारियों की ओर से उनसे लोन पास करवाने के लिए सुविधा शुल्क की माग की गई। जब देने से मना कर दिया, तो लोन पास नहीं किया। महिलाओं का यह भी आरोप था कि कुछ कर्मचारी दिन के समय नशे में रहते है, लेकिन बैंक के आलाधिकारी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते। उनका आरोप था कि मैनेजर ने उनके लोन के कागजात बैंक जिला मुख्यालय भेजने के बजाय जानबूझकर सोसायटी मुख्यालय भेज दिए, ताकि उनको लोन नहीं मिल सके। ताला लगने की भनक जब जिला मुख्यालय पहुची, तो मैनेजर को आनन-फानन में बुलाया गया और कागजों को दोबारा से देखकर रिपोर्ट जमा कराने का निर्देश दिया। दोबारा से कागजातों की जाच के आश्वासन के बाद ही करीब चार घटे बाद ताला खोला गया। जब महिलाओं ने मेन गेट पर ताला लगाया तो उन्होंने कर्मचारियों को बाहर निकलने की अपील की, लेकिन एक कर्मचारी गलती से अंदर रह गया। जब उसने खिड़की से बाहर आने की इच्छा जताई, तो महिलाओं ने ताला खोलने से साफ मना कर दिया। इस बाबत बैंक मैनेजर धर्मपाल का कहना है कि उनका लोन कैंसिल हो गया है और कागजात जिला मुख्यालय से मिलेंगे। इस मामले में फील्ड आफिसर रामपाल का कहना है कि मैनेजर ने गलती से महिलाओं के कागजात बैंक के जिला मुख्यालय भेजने के बजाय सोसायटी में भेज दिया है। इसके चलते यह गलतफहमी हुई है। मामले को शीघ्र सुलझा लिया जाएगा।अब यहाँ महत्वपूर्ण सवाल यह उठता है कि ड्यूटी के वक्त नशे में रहने वालों के खिलाफ करवाई क्यों नही की गयी! दूसरे आला अधिकारियों द्वारा गाँव में खुले इन बैंकों का लगातार कार्य निरीक्षण क्यों नही किया जाता! जब सरकार द्वारा बैंक कर्मियों को निर्धारित वेतन दिया जाता है तो वे ग्रामीणों से शुल्क की मांग क्यों करते हैं! करवाई की जनि चाहिए इन रिश्वतखोरों के खिलाफ ऐसे रिश्वतखोरों के कारण ही देश की सरकारी व्यवस्थाएं बदनाम हैं!

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Friday, April 29, 2011

को-आपरेटिव बैंक और सोसायटी पर जड़ा ताला

खुशबू(ख़ुशी) इन्द्री :
करनाल के बल्ला गाँव स्थित को-आपरेटिव बैंक के कर्मचारियों की कार्यशैली से खफा गाँव की महिलाओं ने बुधवार को-ऑपरेटिव बैंक तथा सोसायटी पर ताला जड़ दिया। करीब चार घटे तक दोनों दफ्तरों पर ताला लटकता रहा। महिलाओं ने बैंक के कर्मचारियों के खिलाफ नारेबाजी की। आखिर लोन के कागजातों की दोबारा जाच के आश्वासन के बाद ही ताला खोला गया। ताला लगने से दोनों आफिस में लेन-देन ठप रहा।
मिली जानकारी के मुताबिक महिलाओं ने बैंक से लोन लेने के लिए पिछले करीब छह माह पूर्व आवेदन किया था बुधवार सुबह जब वे अपने लोन के बारे में जानकारी लेने के लिए महिलाएं बैंक में पहुचीं, तो उन्हें बताया गया कि उनको बैंक से लोन नहीं दिया जा सकता। जब उन्होंने लोन के बारे में बैंक मैनेजर से कागजात वापस मागे, तो मैनेजर ने कागजात करनाल से लेने की बात कही। इतना सुनते ही महिलाएं बिफर गई और सोसायटी और बैंक के कर्मचारियों को आफिस से बाहर निकालकर मेन दरवाजों पर ताला लगा दिया। महिलाएं दरवाजे के पास ही धरने पर बैठ गई। महिलाओं का आरोप था की बैंक कर्मचारियों की ओर से उनसे लोन पास करवाने के लिए सुविधा शुल्क की माग की गई। जब देने से मना कर दिया, तो लोन पास नहीं किया। महिलाओं का यह भी आरोप था कि कुछ कर्मचारी दिन के समय नशे में रहते है, लेकिन बैंक के आलाधिकारी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते। उनका आरोप था कि मैनेजर ने उनके लोन के कागजात बैंक जिला मुख्यालय भेजने के बजाय जानबूझकर सोसायटी मुख्यालय भेज दिए, ताकि उनको लोन नहीं मिल सके। ताला लगने की भनक जब जिला मुख्यालय पहुची, तो मैनेजर को आनन-फानन में बुलाया गया और कागजों को दोबारा से देखकर रिपोर्ट जमा कराने का निर्देश दिया। दोबारा से कागजातों की जाच के आश्वासन के बाद ही करीब चार घटे बाद ताला खोला गया। जब महिलाओं ने मेन गेट पर ताला लगाया तो उन्होंने कर्मचारियों को बाहर निकलने की अपील की, लेकिन एक कर्मचारी गलती से अंदर रह गया। जब उसने खिड़की से बाहर आने की इच्छा जताई, तो महिलाओं ने ताला खोलने से साफ मना कर दिया। इस बाबत बैंक मैनेजर धर्मपाल का कहना है कि उनका लोन कैंसिल हो गया है और कागजात जिला मुख्यालय से मिलेंगे। इस मामले में फील्ड आफिसर रामपाल का कहना है कि मैनेजर ने गलती से महिलाओं के कागजात बैंक के जिला मुख्यालय भेजने के बजाय सोसायटी में भेज दिया है। इसके चलते यह गलतफहमी हुई है। मामले को शीघ्र सुलझा लिया जाएगा।अब यहाँ महत्वपूर्ण सवाल यह उठता है कि ड्यूटी के वक्त नशे में रहने वालों के खिलाफ करवाई क्यों नही की गयी! दूसरे आला अधिकारियों द्वारा गाँव में खुले इन बैंकों का लगातार कार्य निरीक्षण क्यों नही किया जाता! जब सरकार द्वारा बैंक कर्मियों को निर्धारित वेतन दिया जाता है तो वे ग्रामीणों से शुल्क की मांग क्यों करते हैं! करवाई की जनि चाहिए इन रिश्वतखोरों के खिलाफ ऐसे रिश्वतखोरों के कारण ही देश की सरकारी व्यवस्थाएं बदनाम हैं!

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