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Tuesday, April 5, 2011

हत्यारिन बनती माँ

खुशबू(ख़ुशी), इन्द्री : माँ एक ऐसा फरिश्ता है जिसके आगे भगवान भी सर झुकाता है पर आज की दुनिया में माँ की ममता भी बदनाम हो गयी है वैसे तो आज किसी रिश्ते का वजूद नही रह गया है ऐसे में माँ की ममता का बदनाम होना भी कोई बड़ी बात नही पार अचम्भा जरुर होता है कि एक नन्ही जान को जिन्दगी देने वाली माँ उसकी जिन्दगी को छीन कैसे सकती है
दुनिया में माँ की ममता से बढ़ कर कुछ भी नहीं
आज की माँ की ममता इतनी स्वार्थी हो गयी है कि अपने स्वार्थ के लिए वह अपने बच्चे को जान से मार सकती है!
पिछले कुछ समय से हम रोजाना अख़बारों में पढ़ते है कि आज एक माँ ने अपने बच्चे को जहर दे दिया पानी में डुबो कर मार डाला छोड़ कर चली गयी,या बच्ची को फैंक दिया वगैरा-वगैरा इनमे से कुछ तो मजबूरियों के चलते तो कुछ अपने स्वार्थ के चलते ऐसा करती हैं! पर दुःख इस बात पर होता है कि आज मजबूरियां और स्वार्थ माँ की ममता पार इतने हावी होने लगी हैं कि माँ को कातिल बना देती हैं!
नई बात नही, पर हाल ही में एक माँ ने अपने मानसिक रूप से पीड़ित 12 साल के बेटे को सिर्फ इसलिए जहर दे दिया कि कोई उसे उससे छीन न ले पूर्वी लन्दन की रहने वाली इस माँ के बेटे की हालत मानसिक रूप से काफी खराब थी इतनी खराब कि उसे हर पल सहारे कि जरूरत पड़ती कहा जाता है कि यह बच्चा इतने साल तक अपनी माँ के प्यार और देखरेख के कारण ही जिन्दा था कई संस्थाओं ने इस बच्चे कि देखरेख का ज़िम्मा उठाने की पेशकश इस माँ से की थी जिसे उसने ठुकरा दिया! पार यह बात उसके दिमाग में घर कर गयी की वे उसके बच्चे को उससे दूर कर देंगे इस कारण वह मानसिक रूप से बीमार हो गयी जिसके चलते इस माँ ने अपने उस बेटे को जहर दे दिया जिसे वह सबसे ज्यादा प्यार करती थी!
हांलाकि अदालत ने इस माँ को सात साल की सजा सुनाई है पर एक माँ की ममता तो दागदार हो ही गयी, यहाँ सोचने वाली बात ये है कि जिन वंश चलाने वाले बेटों के लिए लोग बेटियों को कोख में ही मार देते हैं,उन बेटों की भी आज कोई वैल्यू नही रह गयी है! उन्हें भी आज हम दर दर की ठोकरे खाते देख सकते हैं! मज़बूरी के चलते ही सही कभी बेटे पेट भरने के लिए भीख मांगते दिखाई देते हैं तो कभी परिवार को पलने के लिए मजदूरी करते! कहने का मतलब ये कि बेटा हो या बेटी माँ के स्वार्थ या मज़बूरी के आगे कुछ महत्व नही रखते!


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Tuesday, April 5, 2011

हत्यारिन बनती माँ

खुशबू(ख़ुशी), इन्द्री : माँ एक ऐसा फरिश्ता है जिसके आगे भगवान भी सर झुकाता है पर आज की दुनिया में माँ की ममता भी बदनाम हो गयी है वैसे तो आज किसी रिश्ते का वजूद नही रह गया है ऐसे में माँ की ममता का बदनाम होना भी कोई बड़ी बात नही पार अचम्भा जरुर होता है कि एक नन्ही जान को जिन्दगी देने वाली माँ उसकी जिन्दगी को छीन कैसे सकती है
दुनिया में माँ की ममता से बढ़ कर कुछ भी नहीं
आज की माँ की ममता इतनी स्वार्थी हो गयी है कि अपने स्वार्थ के लिए वह अपने बच्चे को जान से मार सकती है!
पिछले कुछ समय से हम रोजाना अख़बारों में पढ़ते है कि आज एक माँ ने अपने बच्चे को जहर दे दिया पानी में डुबो कर मार डाला छोड़ कर चली गयी,या बच्ची को फैंक दिया वगैरा-वगैरा इनमे से कुछ तो मजबूरियों के चलते तो कुछ अपने स्वार्थ के चलते ऐसा करती हैं! पर दुःख इस बात पर होता है कि आज मजबूरियां और स्वार्थ माँ की ममता पार इतने हावी होने लगी हैं कि माँ को कातिल बना देती हैं!
नई बात नही, पर हाल ही में एक माँ ने अपने मानसिक रूप से पीड़ित 12 साल के बेटे को सिर्फ इसलिए जहर दे दिया कि कोई उसे उससे छीन न ले पूर्वी लन्दन की रहने वाली इस माँ के बेटे की हालत मानसिक रूप से काफी खराब थी इतनी खराब कि उसे हर पल सहारे कि जरूरत पड़ती कहा जाता है कि यह बच्चा इतने साल तक अपनी माँ के प्यार और देखरेख के कारण ही जिन्दा था कई संस्थाओं ने इस बच्चे कि देखरेख का ज़िम्मा उठाने की पेशकश इस माँ से की थी जिसे उसने ठुकरा दिया! पार यह बात उसके दिमाग में घर कर गयी की वे उसके बच्चे को उससे दूर कर देंगे इस कारण वह मानसिक रूप से बीमार हो गयी जिसके चलते इस माँ ने अपने उस बेटे को जहर दे दिया जिसे वह सबसे ज्यादा प्यार करती थी!
हांलाकि अदालत ने इस माँ को सात साल की सजा सुनाई है पर एक माँ की ममता तो दागदार हो ही गयी, यहाँ सोचने वाली बात ये है कि जिन वंश चलाने वाले बेटों के लिए लोग बेटियों को कोख में ही मार देते हैं,उन बेटों की भी आज कोई वैल्यू नही रह गयी है! उन्हें भी आज हम दर दर की ठोकरे खाते देख सकते हैं! मज़बूरी के चलते ही सही कभी बेटे पेट भरने के लिए भीख मांगते दिखाई देते हैं तो कभी परिवार को पलने के लिए मजदूरी करते! कहने का मतलब ये कि बेटा हो या बेटी माँ के स्वार्थ या मज़बूरी के आगे कुछ महत्व नही रखते!


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