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Saturday, April 16, 2011

बहुरंगीय किरदार जीना चाहता हॅू: अनुपम श्याम

नईदिल्ली (प्रेमबाबू शर्मा ),:
हम फकीरों से बेअदाई क्या आन बैठे जो तुमने प्यार किया---------- ये खूबसूरत ष्शब्द कहे मायानगरी में तकरीबन १८ वर्षो से अभिनय जगत में विविधतापूर्ण किरदार निभाने वाले चर्चित कलाकार अनुपम श्याम ने जो आजकल सहारावन टेलिविजन पर दिखाये जा रहे यूनिसेफ के सहयोग से निर्मित सामाजिक धारावाहिक जीना इसी का नाम है, में बड़े साहिब के पात्र को निभा रहे है। धारावाहिक का प्रसारण इन दिनों सोमवार से शुक्रवार दोपहर 2ः30 बजे हो रहा है।
प्रतापगढ़ (यू.पी.) में जन्में अनुपम ष्श्याम आज किसी परिचय के मोहताज नही हेै। ‘प्रतिज्ञा’ के सज्जन सिंह, जीना इसी का नाम है, के बडे़ साहिब और रक्त चरित्र फिल्म के ओंकार चाचा सभी किरदार नकरात्मक पहचान वाले है जो दर्षकों में सदैव चर्चा का विषय बने रहते है। धारावाहिक जीना इसी का नाम है’ को लेकर अनुपम ष्श्याम जी से विस्तार में बातचीत हुई। प्रस्तुत है बातचीत के कुछ अंष-----
अपने कैरियार की ष्शुरूआत के बारे में अनुपम जी कहते है, मैने भारतेन्दू अकादमी ऑफ आर्टस में 1983 सें 1985 बहुत कुछ सीखा। ष्शुरूआत में थिएटर भी किया और कई बडी-बडी हस्तियों की देख रेख में थिएटर की बारिकियों को समझा। जोरा सहगल और थिएटर के कई अन्य नामचीन लोगों के साथ अभिनय कटके थिएटर में खूब नाम कमाया और इसके बाद ष्शेखर कपूर की बेंडिट क्वीन और इरफान खान के साथ फिम वैरियर करने के बाद दर्षको में एक अलग नाम बनाया। अब तक मै तकरीबन 40 फिल्में कर चुका हूॅं और यह सिलसिला अभी भी जारी है। छोटे पर्दे पर मैनें अम्मा एंड फैमिली’ रिष्तें, प्रतिज्ञा और जीना इसी का नाम है सीरियल अभी तक किये है।’
बडे़ साहिब की भूमिका के बारे में अनुपम ष्श्याम जी कहते है, ‘‘मायानगरी में अपने अनुभव की वदौेलत मुझे, बडे साहिब की भूमिका को निभाते हुए जरा भी दिक्कत महसूस नही हुई। कहानी अच्छा सोषल मैसेज देती है। टीम अच्छी है, कलाकर भी बढ़िया है और सच पूछिए तो बडे साहिब का किरदार मेरे दिल के बहुत करीब है। मैने हमेष अच्छा काम करने की कोषिष की है और यह कोषिष निरंतर जारी रहेगी।
क्या सोचकर आपने जीना इसी का नाम है, के साथ जुडनें का फैसला किया? इसके बारे में अनुपम ष्याम जी बडे़ आत्मविष्वास के साथ बताते है, यह धारावाहिक बहुत अच्छा सामाजिक संदेष देता हेै कि आप अपने पर नियत्रंण रखिये। बाहरी स्वच्छता जरूरी नही बल्कि आंतरिक स्वच्छता जरूरी है यह एक बहुत बढ़िया मैसेज है। मुझे इसकी कहानी में एक अलग नयापन नज़र आया और फिर इसका निर्माण भी तो बढ़िया टीम मिडीटेक ने किया है। मै बस इतना कहना चाहूंगा कि जीना इसी का नाम है मेरे कैरियर का सबसे महत्वपूर्ण धारावाहिक है। बडे़ साहिब, सज्जन सिंह, ओकांर चाचा और अनुपम ष्श्याम में क्या समानता है? इस प्रष्न का जवाब देते हुए वो कहते हेै, ‘‘मै ग्रेजूएट हूॅं। मैने ड्रामा, फिल्में और कई धारावाहिक किये है। लेकिन में तीनो किरदारों से जीवन में अलग हठ कर हूॅं। सोषल नेटवर्किंग करता हॅूं। समाज की सेवा करना भी मेरे जीवन का लक्ष्य है। इसलिये मेै अपने नकरात्मक किरदारों से भिन्न हूूॅं।

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Saturday, April 16, 2011

बहुरंगीय किरदार जीना चाहता हॅू: अनुपम श्याम

नईदिल्ली (प्रेमबाबू शर्मा ),:
हम फकीरों से बेअदाई क्या आन बैठे जो तुमने प्यार किया---------- ये खूबसूरत ष्शब्द कहे मायानगरी में तकरीबन १८ वर्षो से अभिनय जगत में विविधतापूर्ण किरदार निभाने वाले चर्चित कलाकार अनुपम श्याम ने जो आजकल सहारावन टेलिविजन पर दिखाये जा रहे यूनिसेफ के सहयोग से निर्मित सामाजिक धारावाहिक जीना इसी का नाम है, में बड़े साहिब के पात्र को निभा रहे है। धारावाहिक का प्रसारण इन दिनों सोमवार से शुक्रवार दोपहर 2ः30 बजे हो रहा है।
प्रतापगढ़ (यू.पी.) में जन्में अनुपम ष्श्याम आज किसी परिचय के मोहताज नही हेै। ‘प्रतिज्ञा’ के सज्जन सिंह, जीना इसी का नाम है, के बडे़ साहिब और रक्त चरित्र फिल्म के ओंकार चाचा सभी किरदार नकरात्मक पहचान वाले है जो दर्षकों में सदैव चर्चा का विषय बने रहते है। धारावाहिक जीना इसी का नाम है’ को लेकर अनुपम ष्श्याम जी से विस्तार में बातचीत हुई। प्रस्तुत है बातचीत के कुछ अंष-----
अपने कैरियार की ष्शुरूआत के बारे में अनुपम जी कहते है, मैने भारतेन्दू अकादमी ऑफ आर्टस में 1983 सें 1985 बहुत कुछ सीखा। ष्शुरूआत में थिएटर भी किया और कई बडी-बडी हस्तियों की देख रेख में थिएटर की बारिकियों को समझा। जोरा सहगल और थिएटर के कई अन्य नामचीन लोगों के साथ अभिनय कटके थिएटर में खूब नाम कमाया और इसके बाद ष्शेखर कपूर की बेंडिट क्वीन और इरफान खान के साथ फिम वैरियर करने के बाद दर्षको में एक अलग नाम बनाया। अब तक मै तकरीबन 40 फिल्में कर चुका हूॅं और यह सिलसिला अभी भी जारी है। छोटे पर्दे पर मैनें अम्मा एंड फैमिली’ रिष्तें, प्रतिज्ञा और जीना इसी का नाम है सीरियल अभी तक किये है।’
बडे़ साहिब की भूमिका के बारे में अनुपम ष्श्याम जी कहते है, ‘‘मायानगरी में अपने अनुभव की वदौेलत मुझे, बडे साहिब की भूमिका को निभाते हुए जरा भी दिक्कत महसूस नही हुई। कहानी अच्छा सोषल मैसेज देती है। टीम अच्छी है, कलाकर भी बढ़िया है और सच पूछिए तो बडे साहिब का किरदार मेरे दिल के बहुत करीब है। मैने हमेष अच्छा काम करने की कोषिष की है और यह कोषिष निरंतर जारी रहेगी।
क्या सोचकर आपने जीना इसी का नाम है, के साथ जुडनें का फैसला किया? इसके बारे में अनुपम ष्याम जी बडे़ आत्मविष्वास के साथ बताते है, यह धारावाहिक बहुत अच्छा सामाजिक संदेष देता हेै कि आप अपने पर नियत्रंण रखिये। बाहरी स्वच्छता जरूरी नही बल्कि आंतरिक स्वच्छता जरूरी है यह एक बहुत बढ़िया मैसेज है। मुझे इसकी कहानी में एक अलग नयापन नज़र आया और फिर इसका निर्माण भी तो बढ़िया टीम मिडीटेक ने किया है। मै बस इतना कहना चाहूंगा कि जीना इसी का नाम है मेरे कैरियर का सबसे महत्वपूर्ण धारावाहिक है। बडे़ साहिब, सज्जन सिंह, ओकांर चाचा और अनुपम ष्श्याम में क्या समानता है? इस प्रष्न का जवाब देते हुए वो कहते हेै, ‘‘मै ग्रेजूएट हूॅं। मैने ड्रामा, फिल्में और कई धारावाहिक किये है। लेकिन में तीनो किरदारों से जीवन में अलग हठ कर हूॅं। सोषल नेटवर्किंग करता हॅूं। समाज की सेवा करना भी मेरे जीवन का लक्ष्य है। इसलिये मेै अपने नकरात्मक किरदारों से भिन्न हूूॅं।

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