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Tuesday, January 18, 2011

बाबा ने रुकवाई ट्रेन.......................

जोधपुर। गले में पहना भगवा रंग का कपड़ा लहराते हुए एक साधु सोमवार सुबह पाली जिले के बोमादड़ा व राजकियावास स्टेशन के बीच रफ्तार से आ रही रणकपुर एक्सप्रेस के सामने दौड़े जा रहे थे। वे ट्रेन रोकने के लिए चिल्ला रहे थे। सामने खतरा भांप कर चालक ने तेज ब्रेक लगाए और ट्रेन के पहिए चिनगारियां पैदा करते हुए पटरी पर घिसटे, तो सैकड़ों यात्री नींद से हड़बड़ा कर उठे। काफी देर तक उनकी धड़कनें काबू नहीं हुई, जब उन्हें पता चला कि यदि बाबाजी नहीं होते तो ट्रेन पलट जाती और कई यात्रियों की जान जा सकती थी।
बांद्रा से चलकर जोधपुर आने वाली गाड़ी संख्या 4708 रणकपुर एक्सप्रेस सोमवार सुबह करीब 8:30 बजे बोमादड़ा से मारवाड़ जंक्शन की तरफ जा रही थी। बोमादड़ा और मारवाड़ जंक्शन से पहले राजकियावास स्टेशन के बीच एक जगह पटरी में करीब चार इंच का फ्रैक्चर था। तुलसीराम नामक साधु वहां से पैदल गुजर रहे थे कि उन्हें यह फ्रैक्चर दिख गया। उन्हें इस बात की जानकारी थी कि रोजाना की तरह कुछ ही मिनटों बाद रणकपुर एक्सप्रेस वहां से गुजरेगी। ऐसे में वे अपने गले में पहना भगवा दुपट्टा हवा में लहराते हुए ट्रेन आने की दिशा में दौड़ने लगे और उसे रुकवाने में कामयाबी हासिल कर ली।
ट्रेन चालक मूलचंद ने बताया कि साधु को ट्रेन के सामने दौड़ते हुए आते देख उसके हाथ-पांव फूल गए। बाद में पटरी में फै्रक्चर का पता चला तो धड़कनें तेज हो गई और साथ ही राहत की सांस भी ली कि हादसा टल गया। फ्रैक्चर इस तरह था कि एक बोगी पलटती तो पीछे की बोगियां एक के ऊपर एक चढ़ जातीं। पटरी के फै्रक्चर वाले हिस्से में क्लिपिंग भी टूटी मिली। रेलवे ने मामले की जांच के आदेश दिए है।
रेलवे कर्मचारी ही थे बाबाजी
संयोग की ही बात है कि यात्रियों की जान बचाने वाले साधु तुलसीराम भी 13 साल पहले तक रेलवे के कर्मचारी थे। वे गैंगमैन की टोलियों को पानी पिलाने का काम करते थे। राजकियावास में उनका खेत है, जहां वे सुबह जा रहा था। रास्ते में उन्होंने पटरी टूटी हुई देखी तो पूरी ताकत से ट्रेन को रोकने में जुट गए। तुलसीराम ने बड़े हादसे को रोककर न केवल सैकड़ों जानें बचाई, बल्कि रेलवे को होने वाले नुकसान को भी बचा लिया।
सवा घंटे तक बाधित रहा रेलमार्ग
पटरी पर फ्रैक्चर का पता चलने के बाद इस मार्ग पर रेल यातायात बंद कर दिया गया। बांद्रा से चलकर जोधपुर के रास्ते बीकानेर जाने वाली रणकपुर एक्सप्रेस सवा घंटे देरी से जोधपुर के लिए रवाना हो सकी। वहीं जोधपुर-अजमेर पैसेंजर ट्रेन भी एक घंटे दस मिनट तक बीच रास्ते में खड़ी रही। कंट्रोलर की सूचना के बाद पीडब्ल्यूआई की टीमें मौके पर पहुंची और पटरी को दुरुस्त किया। सुबह करीब सवा दस बजे इस रेलमार्ग पर यातायात सामान्य हो सका।
देखा तो उड़ गए होश
रणकपुर एक्सप्रेस में सवार पीएचईडी के अभियंता विनोद भारती, व्यापारी कमलनयन व अध्यापिका संतोष कंवर ने भास्कर को बताया कि जब तेज आवाज व झटके से नींद खुली तो खिड़की से देखा। लोग इंजन की तरफ दौड़ रहे थे। पहले तो हमने भी यही सोचा कि कोई व्यक्ति ट्रेन से कट गया होगा, लेकिन जब पटरियों पर फ्रैक्चर की बात पता चली तो हम लोग भी उत्सुकतावश देखने पहुंचे। तब तक मन में कोई भय नहीं था, लेकिन जब पटरी पर फ्रैक्चर व क्लिपिंग टूटी देखी तो हमारे होश ही उड़ गए। बाबाजी हमारे लिए भगवान बनकर आए।
पेट्रोलिंग पर फिर उठे सवाल
रेलवे भले ही रेल पटरियों की संरक्षा को लेकर लाख दावे करे, लेकिन हकीकत में पेट्रोलिंग में लापरवाही बरती जाती है। अगर पेट्रोलिंग सही तरह से होती तो यह फ्रैक्चर समय पर ही दुरुस्त कर लिया जाता। रेलवे का मानना है कि सर्दी में पटरिया सिकुड़ती हैं। ऐसे में पटरियों में फ्रैक्चर होते ही रहते हैं।
नोटों से झोली भर दी साधु की
वैसे तो जान की कोई कीमत नहीं होती, मगर साधु के वेश में भगवान मान कर यात्रियों ने तुलसीराम की झोली रुपयों से भर दी। यात्रियों ने अपनी जेबों में हाथ डाला और जितने भी पैसे निकले, वे साधु को भेंट कर दिए। इस पर तुलसीराम ने कहा, ‘भगवान मनै इण काम रै वास्ते इज भेजियौ वैला। मारी कांई हस्ती, इतरा मिनखां ने बचाऊ।’ हादसा टलने के बाद ट्रेन में सवार यात्री उनका शुक्रिया अदा करते हुए हाथ में पैसे थमाने लगे तो वे भावुक हो गए और बोले, ‘औ पाप थै मत चढ़ाओ। भगवान मनै माफ कौनी करैला।’ इस पर यात्री बोले कि आपके कारण ही हम सुरक्षित घर पहुंचेंगे।

- भास्कर से

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Tuesday, January 18, 2011

बाबा ने रुकवाई ट्रेन.......................

जोधपुर। गले में पहना भगवा रंग का कपड़ा लहराते हुए एक साधु सोमवार सुबह पाली जिले के बोमादड़ा व राजकियावास स्टेशन के बीच रफ्तार से आ रही रणकपुर एक्सप्रेस के सामने दौड़े जा रहे थे। वे ट्रेन रोकने के लिए चिल्ला रहे थे। सामने खतरा भांप कर चालक ने तेज ब्रेक लगाए और ट्रेन के पहिए चिनगारियां पैदा करते हुए पटरी पर घिसटे, तो सैकड़ों यात्री नींद से हड़बड़ा कर उठे। काफी देर तक उनकी धड़कनें काबू नहीं हुई, जब उन्हें पता चला कि यदि बाबाजी नहीं होते तो ट्रेन पलट जाती और कई यात्रियों की जान जा सकती थी।
बांद्रा से चलकर जोधपुर आने वाली गाड़ी संख्या 4708 रणकपुर एक्सप्रेस सोमवार सुबह करीब 8:30 बजे बोमादड़ा से मारवाड़ जंक्शन की तरफ जा रही थी। बोमादड़ा और मारवाड़ जंक्शन से पहले राजकियावास स्टेशन के बीच एक जगह पटरी में करीब चार इंच का फ्रैक्चर था। तुलसीराम नामक साधु वहां से पैदल गुजर रहे थे कि उन्हें यह फ्रैक्चर दिख गया। उन्हें इस बात की जानकारी थी कि रोजाना की तरह कुछ ही मिनटों बाद रणकपुर एक्सप्रेस वहां से गुजरेगी। ऐसे में वे अपने गले में पहना भगवा दुपट्टा हवा में लहराते हुए ट्रेन आने की दिशा में दौड़ने लगे और उसे रुकवाने में कामयाबी हासिल कर ली।
ट्रेन चालक मूलचंद ने बताया कि साधु को ट्रेन के सामने दौड़ते हुए आते देख उसके हाथ-पांव फूल गए। बाद में पटरी में फै्रक्चर का पता चला तो धड़कनें तेज हो गई और साथ ही राहत की सांस भी ली कि हादसा टल गया। फ्रैक्चर इस तरह था कि एक बोगी पलटती तो पीछे की बोगियां एक के ऊपर एक चढ़ जातीं। पटरी के फै्रक्चर वाले हिस्से में क्लिपिंग भी टूटी मिली। रेलवे ने मामले की जांच के आदेश दिए है।
रेलवे कर्मचारी ही थे बाबाजी
संयोग की ही बात है कि यात्रियों की जान बचाने वाले साधु तुलसीराम भी 13 साल पहले तक रेलवे के कर्मचारी थे। वे गैंगमैन की टोलियों को पानी पिलाने का काम करते थे। राजकियावास में उनका खेत है, जहां वे सुबह जा रहा था। रास्ते में उन्होंने पटरी टूटी हुई देखी तो पूरी ताकत से ट्रेन को रोकने में जुट गए। तुलसीराम ने बड़े हादसे को रोककर न केवल सैकड़ों जानें बचाई, बल्कि रेलवे को होने वाले नुकसान को भी बचा लिया।
सवा घंटे तक बाधित रहा रेलमार्ग
पटरी पर फ्रैक्चर का पता चलने के बाद इस मार्ग पर रेल यातायात बंद कर दिया गया। बांद्रा से चलकर जोधपुर के रास्ते बीकानेर जाने वाली रणकपुर एक्सप्रेस सवा घंटे देरी से जोधपुर के लिए रवाना हो सकी। वहीं जोधपुर-अजमेर पैसेंजर ट्रेन भी एक घंटे दस मिनट तक बीच रास्ते में खड़ी रही। कंट्रोलर की सूचना के बाद पीडब्ल्यूआई की टीमें मौके पर पहुंची और पटरी को दुरुस्त किया। सुबह करीब सवा दस बजे इस रेलमार्ग पर यातायात सामान्य हो सका।
देखा तो उड़ गए होश
रणकपुर एक्सप्रेस में सवार पीएचईडी के अभियंता विनोद भारती, व्यापारी कमलनयन व अध्यापिका संतोष कंवर ने भास्कर को बताया कि जब तेज आवाज व झटके से नींद खुली तो खिड़की से देखा। लोग इंजन की तरफ दौड़ रहे थे। पहले तो हमने भी यही सोचा कि कोई व्यक्ति ट्रेन से कट गया होगा, लेकिन जब पटरियों पर फ्रैक्चर की बात पता चली तो हम लोग भी उत्सुकतावश देखने पहुंचे। तब तक मन में कोई भय नहीं था, लेकिन जब पटरी पर फ्रैक्चर व क्लिपिंग टूटी देखी तो हमारे होश ही उड़ गए। बाबाजी हमारे लिए भगवान बनकर आए।
पेट्रोलिंग पर फिर उठे सवाल
रेलवे भले ही रेल पटरियों की संरक्षा को लेकर लाख दावे करे, लेकिन हकीकत में पेट्रोलिंग में लापरवाही बरती जाती है। अगर पेट्रोलिंग सही तरह से होती तो यह फ्रैक्चर समय पर ही दुरुस्त कर लिया जाता। रेलवे का मानना है कि सर्दी में पटरिया सिकुड़ती हैं। ऐसे में पटरियों में फ्रैक्चर होते ही रहते हैं।
नोटों से झोली भर दी साधु की
वैसे तो जान की कोई कीमत नहीं होती, मगर साधु के वेश में भगवान मान कर यात्रियों ने तुलसीराम की झोली रुपयों से भर दी। यात्रियों ने अपनी जेबों में हाथ डाला और जितने भी पैसे निकले, वे साधु को भेंट कर दिए। इस पर तुलसीराम ने कहा, ‘भगवान मनै इण काम रै वास्ते इज भेजियौ वैला। मारी कांई हस्ती, इतरा मिनखां ने बचाऊ।’ हादसा टलने के बाद ट्रेन में सवार यात्री उनका शुक्रिया अदा करते हुए हाथ में पैसे थमाने लगे तो वे भावुक हो गए और बोले, ‘औ पाप थै मत चढ़ाओ। भगवान मनै माफ कौनी करैला।’ इस पर यात्री बोले कि आपके कारण ही हम सुरक्षित घर पहुंचेंगे।

- भास्कर से

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