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Saturday, January 15, 2011

एक्साईज विभाग में भर्ती के नाम पर ठगी

मुज़फ्फरनगर में आबकारी विभाग में सिपाही के पड़ पर भर्ती कराने के नाम पर ठगी करने का एक बड़ा मामला सामने आया है जिसमे आबकारी विभाग के एक सिपाही उसके भाई और उसकी बहन पर बेरोजगार युवको से भर्ती के नाम पर २२ लाख रूपये की ठगी करने के आरोप लगे है बाकायदा ठगी का शिकार युवको को फर्जी काल लैटर भी जारी कर दिए गए अब पीड़ित न्याय की आस में डर डर की ठोकरे खाने को विवस है 
 सामने लगी पंचायत किसी फरमान सुनाने या फिर किसी को न्याय दिलाने के लिए नहीं सजी है बल्कि ये उन युवको के परिजन है जिनको आबकारी विभाग में कांस्टेबल के पद पर भर्ती कराने के नाम पर २२ लाख रूपये दे चुके है मगर इनके बच्चो को ना ही नोकरी मिली और ना ही इनके पैसे , ये लोग इन्साफ के लिए डर डर की ठोकरे खाने को मजबूर है मगर इनको आज तक न्याय नहीं मिला है
दरअसल मामला मुज़फ्फरनगर का है जहा पर आबकारी विभाग में तैनात पंकज नाम के इस सिपाही पर आरोप लगा है की इसने अपने भाई और बहन के साथ मिलकर 4 बेरोजगार युवको को आबकारी विभाग में बरती कराने के नाम पर २२ लाख रूपये ठग लिए है
मामला 2008 में आबकारी विभाग की भर्ती का है
पीड़ित युवको के परिजनों का कहना है किसी तरह अपनी जमीन , और जेवर बेचकर इन लोगो को पैसे दिए थे जिसकी एवज में इन तीन ठगों ने इन्हें एक चैक भी भी दिया था जिसमे ५ लाख रूपये का एमाउंट भरा है
इस चेक को लेने के बाद इन्हें यकीन हो गया की जो रूपये ये लोग अपने बच्चो की नोकरी के लिए दे रहे है उसमे कोई ख़तरा नहीं है
नौकरी के नाम पर ठगी का शिकार मनीष ,सुधीर पुंडीर , अरुण और सुधीर चारो युवको की अगर माने तो उस समय ये लोग मंत्री नसीमुद्दीन के नाम का हवाला देकर उनके कोटे से भर्ती कराने का दावा करते थे कई बार अधिकारियों से मिलने के बाद भी इन्हें कोई इन्साफ नहीं मिला सभी ग्रामीणों ने मिलकर आज जिला आबकारी विभाग में भी पुरे मामले की शिकायत की मगर रिजाल वो हो ढ़ाक के तीन पात.....
वही दूसरी और आरोपी सिपाही पंकज पंकज कैमरों से मुह छिपाता रहा उसने अपने ऊपर लगे आरोपों पर कोई सफाई नहीं दी जबकि उसकी बहन ने इस तरह के आरोपों को गलत बताया और इसे कुछ को लें दें का मामला बताया
जब ये पूरा मामला मीडिया के संज्ञान में आया तो आबकारी विभाग को भी अपनी फजीयत का डर सताने लगा वही दूसरी और पीड़ित पक्ष के द्वारा दिखाए गए चेक , काल लेटर और बैंक की निकासी जैसे सबुत मीडिया के सामने रखे जिनसे ड़ाल में काला जरुर नजर आता है अब देखना है की क्या इन बेरोजगार युवको को इंशाफ मिलता है या नहीं ?

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Saturday, January 15, 2011

एक्साईज विभाग में भर्ती के नाम पर ठगी

मुज़फ्फरनगर में आबकारी विभाग में सिपाही के पड़ पर भर्ती कराने के नाम पर ठगी करने का एक बड़ा मामला सामने आया है जिसमे आबकारी विभाग के एक सिपाही उसके भाई और उसकी बहन पर बेरोजगार युवको से भर्ती के नाम पर २२ लाख रूपये की ठगी करने के आरोप लगे है बाकायदा ठगी का शिकार युवको को फर्जी काल लैटर भी जारी कर दिए गए अब पीड़ित न्याय की आस में डर डर की ठोकरे खाने को विवस है 
 सामने लगी पंचायत किसी फरमान सुनाने या फिर किसी को न्याय दिलाने के लिए नहीं सजी है बल्कि ये उन युवको के परिजन है जिनको आबकारी विभाग में कांस्टेबल के पद पर भर्ती कराने के नाम पर २२ लाख रूपये दे चुके है मगर इनके बच्चो को ना ही नोकरी मिली और ना ही इनके पैसे , ये लोग इन्साफ के लिए डर डर की ठोकरे खाने को मजबूर है मगर इनको आज तक न्याय नहीं मिला है
दरअसल मामला मुज़फ्फरनगर का है जहा पर आबकारी विभाग में तैनात पंकज नाम के इस सिपाही पर आरोप लगा है की इसने अपने भाई और बहन के साथ मिलकर 4 बेरोजगार युवको को आबकारी विभाग में बरती कराने के नाम पर २२ लाख रूपये ठग लिए है
मामला 2008 में आबकारी विभाग की भर्ती का है
पीड़ित युवको के परिजनों का कहना है किसी तरह अपनी जमीन , और जेवर बेचकर इन लोगो को पैसे दिए थे जिसकी एवज में इन तीन ठगों ने इन्हें एक चैक भी भी दिया था जिसमे ५ लाख रूपये का एमाउंट भरा है
इस चेक को लेने के बाद इन्हें यकीन हो गया की जो रूपये ये लोग अपने बच्चो की नोकरी के लिए दे रहे है उसमे कोई ख़तरा नहीं है
नौकरी के नाम पर ठगी का शिकार मनीष ,सुधीर पुंडीर , अरुण और सुधीर चारो युवको की अगर माने तो उस समय ये लोग मंत्री नसीमुद्दीन के नाम का हवाला देकर उनके कोटे से भर्ती कराने का दावा करते थे कई बार अधिकारियों से मिलने के बाद भी इन्हें कोई इन्साफ नहीं मिला सभी ग्रामीणों ने मिलकर आज जिला आबकारी विभाग में भी पुरे मामले की शिकायत की मगर रिजाल वो हो ढ़ाक के तीन पात.....
वही दूसरी और आरोपी सिपाही पंकज पंकज कैमरों से मुह छिपाता रहा उसने अपने ऊपर लगे आरोपों पर कोई सफाई नहीं दी जबकि उसकी बहन ने इस तरह के आरोपों को गलत बताया और इसे कुछ को लें दें का मामला बताया
जब ये पूरा मामला मीडिया के संज्ञान में आया तो आबकारी विभाग को भी अपनी फजीयत का डर सताने लगा वही दूसरी और पीड़ित पक्ष के द्वारा दिखाए गए चेक , काल लेटर और बैंक की निकासी जैसे सबुत मीडिया के सामने रखे जिनसे ड़ाल में काला जरुर नजर आता है अब देखना है की क्या इन बेरोजगार युवको को इंशाफ मिलता है या नहीं ?

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