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Friday, January 14, 2011

यमला पगला दीवाना

कहानी: 'यमला पगला दीवाना' मुख्य रूप से कनाडा में रह रहे परमवीर सिंह (सनी देओल) की कहानी है, जो कनाडा में अपनी मां (नफीसा अली), फिरंगी बीवी और दो बच्चों के साथ रहते हैं। जैसे फिल्म आगे बढ़ती है कहानी बनारस और पंजाब की ओर मुड़ जाती है। परमवीर अपने पिता धर्मवीर (धर्मेंद्र) जिसने उनको और उनकी मां को छोड़ दिया था और उनके छोटे भाई गजिन्द्र (बॉबी देओल) को अपने साथ लेकर चले गए थे को बहुत याद करता है। परमवीर उनकी खोज में लग जाता है और अंत में उसे एक सुराग मिलता है कि दोनों बनारस में हैं। यह पता चलते ही परमवीर बनारस के लिए निकल लेता है। उन दोनों को घर वापस लाने के लिए वो धरम-गजिंद्र के गैंग में शामिल हो जाता है और उनको अपने संबंधों की सच्चाई बताता है। लेकिन, धरम उसकी बात मानने से मना कर देता है इसके बाद परमवीर अपने परिवार को कैसे एक करता है यह देखने लायक होगा।
रिव्यू: देओल परिवार एकबार फिर परदे पर धमाल मचाने की खातिर वापसी कर चुके हैं। अगर 'अपने' ने आपकी आंखों में आंसू लाए होंगे तो 'यमला पागल दीवाना' आपको हंसा- हंसा कर सच में पागल बना देगी। यह उन फिल्मों में से है जो अपने रिलीज होने से पहले ही अपनी पहचान बना चुकी होती हैं। धर्मेंद्र और बॉबी देओल की कॉमिक-टाईमिंग तो शानदार है ही लेकिन जब उसमें सनी भी मिल जाते हैं तो वो देखने लायक होता है। अगर सनी अपने भावनात्मक अभिनय और मार-धाड़ के सीन में बेहतर हैं तो धर्मेंद्र और बॉबी पिता-पुत्र के संबंधों में काफी सहज नजर आते हैं। बनारस के घाटों से लेकर पंजाब के हरे-भरे खेत फिल्म को रंगीन बनाते हैं। इस फिल्म से शुरूआत करने वाली कुलराज रांधवा अपने रोमांटिक रोल और अभिनय के दम पर फिल्म को एक नया आयाम देती नजर आती हैं।
स्टोरी ट्रीटमेंट: 'यमला पागल दीवाना' बहुत ही साधारण कहानी है। लेकिन जिस प्रकार इस पर काम किया गया है वो इसे देखने लायक बनाता है। निर्देशक समीर ने पहले भाग में कहानी की पृष्ठभूमि को दिखाने में काफी समय लिया है लेकिन दूसरे भाग में उन्होंने कॉमिक दृश्यों का ऐसा संयोजन किया है जो आपको इतना हंसाएगा कि आपके पेट में दर्द होने लगे। फिल्म में एक तरफ सनी की प्रसिद्ध फाईट सीक्वेंस है जहां उनकी तेज आवाज ही उनके दुश्मनों को डराने के लिए काफी साबित होती है तो दूसरी ओर बॉबी अपनी आंखों की चमक और अपनी आवाज में मजाकिया बदलाव की मदद से आपका ध्यान खींचते नजर आते हैं। फिल्म का हर सीन दूसरे भाग में एक ट्विस्ट पैदा करता है जो फिल्म को देखने लायक बनाता है।
स्टार कास्ट: धर्मेंद्र और बॉबी के बीच की केमिस्ट्री फिल्म देखते समय सुकून दिलाती है। बॉबी की डॉयलॉग डिलीवरी इस फिल्म में किसी सर्प्राइज से कम नहीं है। सनी अपने अभिनय के विभिन्न आयामों के आधार पर सदाबहार नजर आते हैं। अनुपम खेर ने अपना रोल काफी बेहतर ढंग से निभाया है। ठीक इसी प्रकार नवोदित कलाकार कुलराज रांधवा ने भी शानदार अभिनय किया है। हालांकि फिल्म में नफीसा अली का रोल काफी छोटा है पर उन्होंने अपना रोल बखूबी अदा किया है।
डायरेक्शन: फिल्म की क्रिएटिव ओपनिंग ही बता देती है कि समीर हमें आगे क्या दिखाना चाहते हैं। 'यमला पागल दीवाना' में कई ऐसे सीन मिल जाएंगे जो आम जिंदगी में देखने को मिल जाती हैं। फिल्म की लंबाई पर ध्यान नहीं देना चाहिए क्योंकि समीर ने तीन बड़े सितारों को एक साथ परदे पर लाने की कोशिश की है। फिल्म हालिया ब्लॉकबस्टर फिल्म 'दबंग' की भी याद दिलाती है लेकिन कुल मिलाकर अच्छा मनोरंजन प्रस्तुत करती है।
3 अप्स और 3 डाउन: फिल्म के तीनों शक्तिशाली कलाकार ही फिल्म की सबसे बड़ी यूएसपी हैं। फिल्म का बेहतर संगीत है और शानदार संवाद भी किसी से कम नहीं है। सनी देओल के ऊपर फिल्माए गए फाईट सीक्वेंस एक बार तो जरूर देखने वाले हैं। हालांकि फिल्म की लंबाई उसकी सबसे बड़ी खामी है जो कुछ जगहों पर बोर करती है। पहले भाग को लंबा खिंचना भी अजीब लगता है। फिल्म का संपादन भी और बेहतर ढंग से किया जा सकता था।

- भास्कर से
म्यूजिक/सिनेमाटोग्राफी/संवाद: फिल्म का संगीत कर्णप्रिय है, फिल्म का टाइटिल सांग ही फिल्म की यूएसपी है। फिल्म के दूसरे गाने भी काफी बेहतर हैं भले ही वह रोमांटिक गीत हों या फिर आइटम नंबर। फिल्म की सिनेमाटोग्राफी शानदार है पंजाब और बनारस की खूबसूरती काफी सलीके से कैप्चर किया गया है। फिल्म में कई स्पेशल इफैक्टों का भी इस्तेमाल किया गया है। फिल्म के संवाद दिमाग में छा जाने वाले हैं जबकि उसमें इस्तेमाल की गई पंजाबी बोली सोने पर सुहागा की तरह लगती है।

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Friday, January 14, 2011

यमला पगला दीवाना

कहानी: 'यमला पगला दीवाना' मुख्य रूप से कनाडा में रह रहे परमवीर सिंह (सनी देओल) की कहानी है, जो कनाडा में अपनी मां (नफीसा अली), फिरंगी बीवी और दो बच्चों के साथ रहते हैं। जैसे फिल्म आगे बढ़ती है कहानी बनारस और पंजाब की ओर मुड़ जाती है। परमवीर अपने पिता धर्मवीर (धर्मेंद्र) जिसने उनको और उनकी मां को छोड़ दिया था और उनके छोटे भाई गजिन्द्र (बॉबी देओल) को अपने साथ लेकर चले गए थे को बहुत याद करता है। परमवीर उनकी खोज में लग जाता है और अंत में उसे एक सुराग मिलता है कि दोनों बनारस में हैं। यह पता चलते ही परमवीर बनारस के लिए निकल लेता है। उन दोनों को घर वापस लाने के लिए वो धरम-गजिंद्र के गैंग में शामिल हो जाता है और उनको अपने संबंधों की सच्चाई बताता है। लेकिन, धरम उसकी बात मानने से मना कर देता है इसके बाद परमवीर अपने परिवार को कैसे एक करता है यह देखने लायक होगा।
रिव्यू: देओल परिवार एकबार फिर परदे पर धमाल मचाने की खातिर वापसी कर चुके हैं। अगर 'अपने' ने आपकी आंखों में आंसू लाए होंगे तो 'यमला पागल दीवाना' आपको हंसा- हंसा कर सच में पागल बना देगी। यह उन फिल्मों में से है जो अपने रिलीज होने से पहले ही अपनी पहचान बना चुकी होती हैं। धर्मेंद्र और बॉबी देओल की कॉमिक-टाईमिंग तो शानदार है ही लेकिन जब उसमें सनी भी मिल जाते हैं तो वो देखने लायक होता है। अगर सनी अपने भावनात्मक अभिनय और मार-धाड़ के सीन में बेहतर हैं तो धर्मेंद्र और बॉबी पिता-पुत्र के संबंधों में काफी सहज नजर आते हैं। बनारस के घाटों से लेकर पंजाब के हरे-भरे खेत फिल्म को रंगीन बनाते हैं। इस फिल्म से शुरूआत करने वाली कुलराज रांधवा अपने रोमांटिक रोल और अभिनय के दम पर फिल्म को एक नया आयाम देती नजर आती हैं।
स्टोरी ट्रीटमेंट: 'यमला पागल दीवाना' बहुत ही साधारण कहानी है। लेकिन जिस प्रकार इस पर काम किया गया है वो इसे देखने लायक बनाता है। निर्देशक समीर ने पहले भाग में कहानी की पृष्ठभूमि को दिखाने में काफी समय लिया है लेकिन दूसरे भाग में उन्होंने कॉमिक दृश्यों का ऐसा संयोजन किया है जो आपको इतना हंसाएगा कि आपके पेट में दर्द होने लगे। फिल्म में एक तरफ सनी की प्रसिद्ध फाईट सीक्वेंस है जहां उनकी तेज आवाज ही उनके दुश्मनों को डराने के लिए काफी साबित होती है तो दूसरी ओर बॉबी अपनी आंखों की चमक और अपनी आवाज में मजाकिया बदलाव की मदद से आपका ध्यान खींचते नजर आते हैं। फिल्म का हर सीन दूसरे भाग में एक ट्विस्ट पैदा करता है जो फिल्म को देखने लायक बनाता है।
स्टार कास्ट: धर्मेंद्र और बॉबी के बीच की केमिस्ट्री फिल्म देखते समय सुकून दिलाती है। बॉबी की डॉयलॉग डिलीवरी इस फिल्म में किसी सर्प्राइज से कम नहीं है। सनी अपने अभिनय के विभिन्न आयामों के आधार पर सदाबहार नजर आते हैं। अनुपम खेर ने अपना रोल काफी बेहतर ढंग से निभाया है। ठीक इसी प्रकार नवोदित कलाकार कुलराज रांधवा ने भी शानदार अभिनय किया है। हालांकि फिल्म में नफीसा अली का रोल काफी छोटा है पर उन्होंने अपना रोल बखूबी अदा किया है।
डायरेक्शन: फिल्म की क्रिएटिव ओपनिंग ही बता देती है कि समीर हमें आगे क्या दिखाना चाहते हैं। 'यमला पागल दीवाना' में कई ऐसे सीन मिल जाएंगे जो आम जिंदगी में देखने को मिल जाती हैं। फिल्म की लंबाई पर ध्यान नहीं देना चाहिए क्योंकि समीर ने तीन बड़े सितारों को एक साथ परदे पर लाने की कोशिश की है। फिल्म हालिया ब्लॉकबस्टर फिल्म 'दबंग' की भी याद दिलाती है लेकिन कुल मिलाकर अच्छा मनोरंजन प्रस्तुत करती है।
3 अप्स और 3 डाउन: फिल्म के तीनों शक्तिशाली कलाकार ही फिल्म की सबसे बड़ी यूएसपी हैं। फिल्म का बेहतर संगीत है और शानदार संवाद भी किसी से कम नहीं है। सनी देओल के ऊपर फिल्माए गए फाईट सीक्वेंस एक बार तो जरूर देखने वाले हैं। हालांकि फिल्म की लंबाई उसकी सबसे बड़ी खामी है जो कुछ जगहों पर बोर करती है। पहले भाग को लंबा खिंचना भी अजीब लगता है। फिल्म का संपादन भी और बेहतर ढंग से किया जा सकता था।

- भास्कर से
म्यूजिक/सिनेमाटोग्राफी/संवाद: फिल्म का संगीत कर्णप्रिय है, फिल्म का टाइटिल सांग ही फिल्म की यूएसपी है। फिल्म के दूसरे गाने भी काफी बेहतर हैं भले ही वह रोमांटिक गीत हों या फिर आइटम नंबर। फिल्म की सिनेमाटोग्राफी शानदार है पंजाब और बनारस की खूबसूरती काफी सलीके से कैप्चर किया गया है। फिल्म में कई स्पेशल इफैक्टों का भी इस्तेमाल किया गया है। फिल्म के संवाद दिमाग में छा जाने वाले हैं जबकि उसमें इस्तेमाल की गई पंजाबी बोली सोने पर सुहागा की तरह लगती है।

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